पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर सर्वसम्मति से शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. किसी और उम्मीदवार के नाम की अनुपस्थिति में पार्टी ने एकमत से उन्हें फिर से अध्यक्ष चुना.
सुखबीर ने दिया एकजुटता का संदेश
पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद सुखबीर बादल ने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलकर चलने की अपील की. उन्होंने कहा कि अकाली दल को खत्म करने की साजिशें रची जा रही थीं, लेकिन अब सभी को एकजुट होकर इन साजिशों का विरोध करना होगा.
“क्षेत्रीय पार्टियों को कमजोर करने की साजिश” – सुखबीर बादल
सुखबीर ने कहा कि यह समय क्षेत्रीय पार्टियों को मजबूत करने का है, क्योंकि उन्हें खत्म करने के प्रयास हो रहे हैं. उन्होंने शिअद को क्षेत्रीय स्वाभिमान का प्रतीक बताया.
कांग्रेस पर मजीठिया का हमला, बागियों पर साधा निशाना
वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह लगातार अकाली दल को तोड़ने की साजिश करती रही है. उन्होंने कहा कि जो नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, वे अकाली विरोधी ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं.
बेअदबी के बाद पार्टी में उठी विरोध की लहर
बेअदबी की घटनाओं के बाद से शिअद का जनाधार कमजोर हुआ. प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद पार्टी में विरोधी सुर तेज हुए और वरिष्ठ नेताओं ने सुखबीर के नेतृत्व पर सवाल उठाए.
बगावत की आंधी, सुधार लहर की शुरुआत
सुखबीर के नेतृत्व को लेकर असहमति बढ़ने पर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप वडाला और बीबी जागीर कौर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से अलग होकर ‘सुधार लहर’ शुरू की, जिसने शिअद को सीधी चुनौती दी.
धार्मिक सजा और जानलेवा हमला
धार्मिक मामलों में चूक के आरोप में सुखबीर बादल को एक जुलाई को बागी नेताओं द्वारा लिखित शिकायत दी गई थी. इसके बाद 30 अगस्त को उन्हें जत्थेदार द्वारा ‘तनखाहिया’ घोषित किया गया. इसी दौरान चार दिसंबर को श्री हरमंदिर साहिब में उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें वह बाल-बाल बचे.
भूंदड़ को बनाया कार्यकारी अध्यक्ष
तनखाहिया होने के कारण सुखबीर बादल राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे. इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ को शिअद का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया.