युवाओं के भविष्य के लिए भाषा ज्ञान और पुस्तकों का अध्ययन अनिवार्य: धर्म सिंह फरस्वांण

सुमित/नई दिल्ली: समाजसेवी, शिक्षाविद एवं बहुभाषाविद धर्म सिंह फरस्वांण द्वारा आज संस्कृत महाविद्यालय, मसूरी के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उनके भविष्य और व्यावसायिक जीवन में विभिन्न भाषाओं के महत्व से परिचित कराना था.

व्यावसायिक सफलता में भाषाओं की भूमिका

कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री फरस्वांण ने कहा कि आधुनिक युग में केवल एक भाषा का ज्ञान पर्याप्त नहीं है. उन्होंने बताया कि हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ फ्रेंच, जर्मन और स्पेनिश जैसी विदेशी भाषाएं करियर के नए द्वार खोलती हैं. वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने और बेहतर रोजगार के अवसर पाने के लिए बहुभाषी होना आज की सबसे बड़ी जरूरत है.

डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाम पुस्तकें

आज की युवा पीढ़ी में घटती अध्ययन संस्कृति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के कारण पुस्तकों से दूरी बढ़ती जा रही है. उन्होंने मोबाइल की तुलना में पुस्तकों के अध्ययन को अधिक उपयोगी बताया.

प्रमाणिकता: पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान व्यवस्थित, शुद्ध और प्रामाणिक होता है.

भ्रम से बचाव: मोबाइल पर उपलब्ध जानकारी हमेशा सटीक नहीं होती, जिससे छात्रों के गलत तथ्य सीखने की संभावना बनी रहती है.

समय का सदुपयोग: इंटरनेट पर स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के कारण बच्चे अक्सर जानकारी खोजने में समय बर्बाद करते हैं, जिससे उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.

संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण

शिक्षाविद फरस्वांण ने आधुनिकता की दौड़ में लुप्त होती अपनी मूल संस्कृति पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “विभिन्न संस्कृतियों को अपनाना बुरा नहीं है, लेकिन हमें अपनी मूलभूत संस्कृति और आचार-संस्कारों को नहीं भूलना चाहिए.” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और गिरते नैतिक मूल्यों पर आत्मचिंतन करें.

इस कार्यशाला ने विद्यार्थियों को न केवल करियर के प्रति जागरूक किया, बल्कि उन्हें जीवन में अनुशासन और सही ज्ञान के चयन के प्रति भी प्रेरित किया.

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