दिल्ली: प्रदूषण डेटा में हेराफेरी के आरोप, राजनीतिक घमासान तेज़!

सुमित/नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दमघोंटू हवा के बीच, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़ों में हेराफेरी के गंभीर आरोप लगने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. विपक्षी दलों ने सीधे तौर पर सरकारी एजेंसियों पर डेटा छिपाने और उसमें बदलाव करने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

जल छिड़काव का विवाद: आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि आनंद विहार बस अड्डे पर स्थित प्रदूषण निगरानी केंद्र के आस-पास रात-दिन पानी का छिड़काव किया जा रहा था. उनका दावा है कि यह प्रदूषण कम करने के लिए नहीं, बल्कि कृत्रिम रूप से एक्यूआई रीडिंग को कम दिखाने के लिए ‘डेटा प्रबंधन’ का एक प्रयास था.

डेटा में असामान्य उतार-चढ़ाव: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आनंद विहार स्टेशन के आंकड़ों में पानी के छिड़काव के समय PM10 सांद्रता में अचानक और असामान्य गिरावट देखी गई, जो शहर भर में सुधार के बजाय एक स्थानीय प्रभाव का संकेत देती है.

दीवाली की रात डेटा गायब: दीवाली की रात (अक्टूबर 20-21, 2025) को प्रदूषण अपने चरम पर था, लेकिन CPCB के कई निगरानी स्टेशनों पर घंटों तक डेटा उपलब्ध नहीं था. रिपोर्टों के अनुसार, 39 में से केवल 11 स्टेशन ही लगातार रीडिंग दर्ज कर रहे थे, जिससे उस रात के प्रदूषण के वास्तविक स्तर पर संदेह पैदा होता है.

तकनीकी खराबी का दावा: CPCB ने AQI के घंटों के अपडेट में अंतराल के लिए कई बार तकनीकी खराबी को जिम्मेदार ठहराया है.

पर्यावरण मंत्री ने इन आरोपों को ‘मूर्खतापूर्ण और राजनीति से प्रेरित’ बताते हुए खारिज कर दिया है और प्रदूषण निगरानी केंद्रों को ‘छेड़छाड़-मुक्त’ बताया है. हालांकि, विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि निगरानी केंद्र के पास पानी का छिड़काव अस्थायी रूप से धूल को दबा सकता है और PM रीडिंग को कम कर सकता है, जो उस क्षेत्र के वास्तविक प्रदूषण भार को नहीं दर्शाता.

यह विवाद दिल्ली के नागरिकों को मिलने वाले प्रदूषण के आंकड़ों की सटीकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर ऐसे समय में जब वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है.

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