पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कैथल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के व्यवहार को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने डीएसपी के उस रवैये को ‘निंदनीय’ करार दिया है, जिसमें उन्होंने एक आरोपित को जांच में शामिल होने से रोक दिया और उससे अदालत के जमानत आदेश की सत्यापित प्रति लाने को कहा.
यह मामला उस वक्त अदालत की नजर में आया, जब जस्टिस संदीप मौदगिल की पीठ के समक्ष यह तथ्य प्रस्तुत किया गया कि अदालत से जमानत मिलने के बाद आरोपी 5 अप्रैल को डीएसपी कैथल के कार्यालय पहुंचा था. उसने जांच में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन अधिकारी ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि पहले अदालत के आदेश की सत्यापित प्रति लाए.
इस पर जस्टिस मौदगिल ने कहा कि यह आचरण अदालत की अवमानना, विशेषकर आपराधिक अवमानना का प्रयास प्रतीत होता है. उन्होंने पूछा है कि क्यों न डीएसपी के विरुद्ध अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए.
कोर्ट में बताया गया कि आरोपी को दूसरे ही दिन एक अन्य मामले में कुरुक्षेत्र के कृष्णा गेट थाना में गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. आरोपी के वकील ने कहा कि डीएसपी के इस रवैये के कारण आरोपी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े.
कोर्ट ने डीएसपी को 26 मई से पहले अपना स्पष्टीकरण दाखिल करने का निर्देश दिया है और यह भी पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. अब देखना यह होगा कि डीएसपी इस गंभीर टिप्पणी पर अदालत को क्या जवाब देते हैं.