बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की पावन प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है. शुक्रवार को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और बदरीनाथ के रावल अमरनाथ नंबूदरी, पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर पहुंचे. इस दौरान जय बदरी विशाल के घोष और मंगल गीतों से ज्योतिर्मठ नगरी गूंज उठी.
शनिवार को कुबेर जी और उद्धव जी की उत्सव डोलियां, गाडू घड़ा तेल कलश और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ यात्रा बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करेगी.
चार मई को ब्रह्ममुहूर्त में सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. शुक्रवार को ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए श्रद्धालु शामिल हुए.
पूजा के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुए. मंदिर परिसर में स्थानीय महिलाओं ने मंगल गीत गाकर गद्दी को भावभीनी विदाई दी.
इस बार एक विशेष पहल की गई है—सात दशकों बाद गरुड़ भगवान की उत्सव डोली को फिर से बदरीनाथ के लिए रवाना किया गया है. बीकेटीसी से अनुमति मिलने के बाद देव पुजाई समिति और रेंक्वाव पंचायत की पहल पर यह परंपरा फिर से शुरू की गई.
शीतकाल में गरुड़ जी की पूजा ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में की जाएगी. अब श्रद्धालु बेसब्री से कपाट खुलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ताकि वे भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकें.