सामाजिक न्याय और समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, पंजाब विधानसभा ने आज पंजाब लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट) संशोधन अधिनियम 2025 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इस ऐतिहासिक विधेयक के माध्यम से अब अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए एडवोकेट जनरल पंजाब के कार्यालय में नियुक्ति हेतु न्यूनतम वार्षिक पेशेवर आय की शर्त में ढील दी जा सकेगी.
इस विधेयक को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के कैबिनेट मंत्री ने पंजाब के पानी की रक्षा पर केंद्रित विशेष सत्र के दौरान पेश किया. उन्होंने कहा कि यह संशोधन न केवल सामाजिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा, बल्कि आम आदमी पार्टी की उस प्रतिबद्धता का भी हिस्सा है, जिसमें गरीब और पिछड़े वर्गों से आने वाले वकीलों को समान अवसर देने की बात कही गई थी.
मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार ने पहले ही एडवोकेट जनरल कार्यालय में अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए 58 पद आरक्षित किए थे. लेकिन 2017 के कानून के तहत निर्धारित आय सीमा इतनी अधिक थी कि अधिकांश उम्मीदवार इस मानदंड को पूरा नहीं कर पाए, और सीटें खाली रह गईं. नया संशोधन इस बाधा को दूर करेगा.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय दो अनुसूचित जाति के कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद इस वर्ग के अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकी. उन्होंने 2017 में अपने द्वारा उठाए गए आरक्षण की मांग को भी याद किया, जिसे तत्कालीन सरकार ने नजरअंदाज कर दिया था.
विधेयक को समर्थन देने वालों में मंत्री मोहिंदर भगत, विधायक डॉ. सुखविंदर कुमार सुक्खी, बुद्ध राम सिंह, नछत्तर पाल, रजनीश कुमार दहिया और विक्रमजीत सिंह चौधरी शामिल रहे, जिन्होंने सरकार की इस पहल के लिए आभार प्रकट किया.
पंजाब में सामाजिक न्याय की दिशा में यह कदम एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. अब देखना होगा कि यह संशोधन ज़मीनी स्तर पर कितना प्रभावी साबित होता है.