जनवरी 2020 में शुरू हुई कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था. भारत में पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था. उस समय का भयावह मंजर आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है. अब, जब लोग उस दौर को लगभग भूल चुके थे, एक बार फिर से कोविड-19 महामारी ने दरवाज़े पर दस्तक दे दी है.
दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में कोविड-19 के मामलों में एक बार फिर से तेज़ी देखी जा रही है. खासकर सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में हालात चिंताजनक हैं. सिंगापुर में 27 अप्रैल से 3 मई के बीच 14,200 नए केस सामने आए, वहीं हांगकांग में मई महीने में अब तक 31 गंभीर मामले दर्ज किए गए हैं — जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ोतरी के पीछे ओमिक्रॉन का नया सब-वेरिएंट JN.1 है, जिसमें करीब 30 म्यूटेशन पाए गए हैं. इनमें LF.7 और NB.1.8 जैसे म्यूटेशन को विशेष रूप से चिंताजनक माना जा रहा है.
भारत की स्थिति:
भारत में 19 मई 2025 तक केवल 257 सक्रिय मामले हैं. इनमें से अधिकांश को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत नहीं पड़ी है.
बीते सप्ताह में देशभर में 164 नए मामले दर्ज किए गए, जिनमें सबसे अधिक केस केरल (69), महाराष्ट्र (44) और तमिलनाडु (34) से सामने आए हैं. दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान और सिक्किम में भी कुछ नए मामले मिले हैं.
सरकारी तैयारी:
स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. सोमवार को मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की, जिसमें ICMR, NCDC, डिजास्टर मैनेजमेंट सेल समेत अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया.