जालंधर: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज राज्य सरकार की भूजल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए धान की खेती को क्षेत्रवार चरणों में शुरू करने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि 1 जून से राज्य को तीन जोनों में बाँटकर क्रमवार रूप से धान की रोपाई शुरू की जाएगी.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब देश का अन्नदाता है और यह राष्ट्रीय खाद्य भंडार में 45% तक योगदान देता है, लेकिन धान की खेती के कारण राज्य हर साल 9 गोबिंद सागर झीलों जितना पानी गंवा देता है. उन्होंने चेतावनी दी कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.
मान ने बताया कि एक किलो धान उगाने में 4000 लीटर पानी की जरूरत होती है, और मौजूदा समय में राज्य में धान की खेती 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. हालांकि राज्य सरकार के प्रयासों से भूजल स्तर में एक मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है.
धान की खेती के लिए बनाई गई जोनवार योजना के अनुसार:-
1 जून से फरीदकोट, बठिंडा, फाजिल्का, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब में बुवाई शुरू होगी.
5 जून से गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, रूपनगर, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब और होशियारपुर में.
9 जून से लुधियाना, मोगा, जालंधर, मानसा, मालेरकोटला, संगरूर, पटियाला, बरनाला, नवांशहर और कपूरथला में.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे न केवल बिजली की मांग को संतुलित किया जा सकेगा, बल्कि अक्तूबर में फसल बेचने में आने वाली समस्याओं से भी राहत मिलेगी.
मुख्यमंत्री ने धान की पूसा-44 किस्म पर प्रतिबंध लगाने की भी बात कही, क्योंकि यह किस्म अत्यधिक पानी की मांग और ज्यादा पराली उत्पादन के लिए जानी जाती है.
राज्य सरकार ने नहरी पानी के उपयोग को भी बढ़ावा दिया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में नहरी पानी का उपयोग 21% से बढ़कर 75% तक हो चुका है. सिंचाई की 15947 जल लाइनें पुनर्जीवित की गई हैं, जिससे दूरदराज के गांवों तक पानी पहुंच रहा है.
आगे बोलते हुए, मान ने कहा कि सरकार किसानों को गेहूं-धान के पारंपरिक चक्र से निकालने के लिए मक्का जैसी फसलों को बढ़ावा देने, उनकी मार्केटिंग और एमएसपी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है.
साथ ही, किसानों के लिए डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता और यूरिया की कालाबाज़ारी रोकने का भी आश्वासन दिया गया है