दिल्ली के प्रदूषण पर राजनीतिक रार, पंजाब ने कम किया प्रदूषण, हरियाणा यूपी क्यों नहीं कर रहे प्रयास?

सुमित/ नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में अक्टूबर से जनवरी के बीच हर साल वायु प्रदूषण की गुणवत्ता बेहद निम्न स्तर पर चली जाती है. दिल्ली में लगे AQI मीटर 999 की अधिकतम सीमा को माप सकते हैं. लेकिन दिल्ली में प्रदूषण इस पैमाने को भी पार कर जाता है.

ऐसे में फर्ज बनता है कि दिल्ली के पड़ोसी राज्य प्रदूषण में कमी लाने में सहयोग करें. ये सहयोग 3 में से एक राज्य पंजाब ने किया जहां दिल्ली की ही आम आदमी पार्टी की सरकार है. पंजाब ने पिछले 2 साल के मुकाबले 50% खेतों में आग लगाने की घटनाओं को कम किया है. और 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के बीच 27% खेतों में आग के मामलों में कमी देखने को मिली. केंद्र की संस्था IARI के मुताबिक हरियाणा में 23% और उत्तर प्रदेश में 70% खेतों में आग के मामले बढ़े.

इस मुद्दे पर अब आदमी पार्टी का केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना है कि दिल्ली में प्रदूषण से बचाव के बहुत प्रयास किए लेकिन BJP शासित हरियाणा और यूपी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. दिल्ली में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बस, डीजल मुक्त फैक्ट्रियां, ईंट के भट्टे नहीं, पराली नहीं जलाई जाती. फिर भी दिल्ली में प्रदूषण है. पंजाब ने अच्छे प्रयास किए अब वहां भी आम आदमी पार्टी की सरकार है तो इस पर राजनीति क्यों ?

वहीं भाजपा का कहना है कि AAP सिर्फ आरोपों की राजनीति कर रही है. पहले आम आदमी पार्टी पंजाब को प्रदूषण का जिम्मेदार बताती थी. लेकिन अब पंजाब का नाम नहीं ले रही है क्योंकि वहां उनकी ही सरकार है. BJP शासित राज्यों को इसका जिम्मेदार ठहराना गलत है.

आम आदमी पार्टी का बीजेपी के इन आरोपों पर कहना कि पंजाब ने इस बार पराली जलाने और प्रदूषण रोकने में कमी की है ये बात खुद केंद्र की संस्था बताती है और हरियाणा यूपी में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं. केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर अपनी राज्य सरकारों को पराली जलाने से रोकना चाहिए.

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