पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. पंजाब की भगवंत मान सरकार ने हरियाणा को भाखड़ा नहर से मिलने वाले 9500 क्यूसिक पानी को घटाकर केवल 4000 क्यूसिक कर दिया है. इस फैसले से हरियाणा में गर्मी और धान की खेती के मौसम में जल संकट गहराने की आशंका है.
इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि भाजपा पंजाब के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) पर दबाव बना रही है कि हरियाणा को जरूरत के मुताबिक पानी दिया जाए. उन्होंने साफ कहा कि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी नहीं है और हरियाणा अपना हिस्सा पहले ही मार्च में पूरा इस्तेमाल कर चुका है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि पानी के वितरण का हिसाब हर साल 21 मई से अगले साल 21 मई तक होता है और पहली बार इस हिसाब को सख्ती से लागू किया जा रहा है. पूर्व सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले मिलीभगत से पानी का दुरुपयोग होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. पंजाब सरकार पानी की हर बूंद का हिसाब रख रही है.
हरियाणा को मानवीय आधार पर 4000 क्यूसिक पानी
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि मानवता के नाते हरियाणा को 4000 क्यूसिक पानी दिया जाएगा, लेकिन इससे ज्यादा नहीं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि जो पानी पाकिस्तान को रोका गया है, वह पंजाब को दे ताकि राज्य अपनी जरूरतें पूरी कर सके और तभी हरियाणा को भी अतिरिक्त पानी मिल सकता है.
डैमों में भी घटा जलस्तर
मुख्यमंत्री ने बताया कि पौंग डैम और रणजीत सागर डैम में भी पानी का स्तर काफी कम हो गया है. आने वाले दिनों में धान की बुवाई शुरू होनी है, ऐसे में पंजाब के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी.
नहरी व्यवस्था दुरुस्त
पंजाब सरकार ने नहरों की सफाई और मरम्मत का काम पूरा कर लिया है ताकि किसानों को समय पर पानी मिल सके. मुख्यमंत्री ने दोहराया कि पंजाब के पास एक बूंद भी फालतू पानी नहीं है और राज्य अपने संसाधनों का इस्तेमाल सबसे पहले अपनी जरूरतों के लिए करेगा.