नन्ही दुनिया आंदोलन’ की सह-संस्थापक श्रीमती साधना उल्फत की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित ‘साधना उत्सव’ एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि बन गया. शिक्षा और सामाजिक सुधार की अग्रदूत रहीं ‘साधना माँ’ की विरासत को सम्मानित करते हुए इस आयोजन में बच्चों और शिक्षकों ने मिलकर विचारों का उत्सव मनाया.
बाल विचार गोष्ठी: सहभागिता में बसी साधना माँ की आत्मा

नन्ही दुनिया स्कूल द्वारा आयोजित इस बाल विचार गोष्ठी में 150 से अधिक छात्र और 40 शिक्षक-संवेदनशील विषयों पर अपने विचारों के माध्यम से श्रीमती उल्फत को श्रद्धांजलि देने एकत्र हुए. गोष्ठी में प्रतिस्पर्धा से अधिक सहभागिता को महत्व दिया गया—जो ‘साधना माँ’ के मूल्यों की सजीव अभिव्यक्ति है.
विचारों में उभरी नारी शक्ति की छवि

आयु-वर्गों के अनुसार बच्चों ने बहन, माँ, दादी, महिला सशक्तिकरण, और “गांव हैं भारत की आशा” जैसे विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए. उनकी बातें केवल भाषण नहीं थीं, बल्कि एक उज्ज्वल और समावेशी भारत की कल्पना भी थीं.
शहर के प्रतिष्ठित विद्यालयों की भागीदारी
ज्ञानंदा, कार्मन, मानव भारती, दून गर्ल्स, हिम ज्योति, ओलिंपस हाई, सोफिया, ओएसिस और अन्य प्रमुख विद्यालयों की भागीदारी ने इस आयोजन को देहरादून के शिक्षा जगत का उत्सव बना दिया.
रचनात्मक कार्यशाला में बच्चों ने रंगे सपने

कार्यक्रम में नन्ही दुनिया के शैक्षणिक समन्वयक आलोक उल्फत के नेतृत्व में एक विशेष चित्रकला कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें गुंजन सेठी, सत्विका गोयल और ओजस्य सोहम उल्फत ने सहयोग किया. इस कार्यशाला में बच्चों ने साधना माँ के विचारों को रंगों में ढाला.
विशिष्ट अतिथियों ने बढ़ाया उत्सव का गौरव
डॉ. सुमन पवार, डॉ. कल्पना त्रिपाठी, श्रीमती अपर्णा मिश्रा, और श्रीमती इरा चौहान ने अपने प्रेरक विचारों और उपस्थिति से बच्चों को प्रोत्साहित किया.
साधना माँ की स्मृतियों में बहा प्रेम का सागर
कार्यक्रम का समापन श्रीमती किरन उल्फत गोयल के भावपूर्ण संबोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने साधना उल्फत के जीवन-मूल्यों को साझा करते हुए समाज में प्रेम, करुणा और रचनात्मकता के बीज बोने की आवश्यकता को दोहराया.