आंखों में जख्म, खून का थक्का जम रहा, आई फ्लू केसों में देहरादून में इजाफा

आई फ्लू (कंजक्टिवाइटिस) के मरीज कम नहीं हो रहे हैं। दून अस्पताल के नेत्र रोग विभाग एवं गांधी शताब्दी अस्पताल की ओपीडी में पचास फीसदी से ज्यादा मरीज कंजक्टिवाइटिस के हैं। अब आईफ्लू के घातक मरीज सामने आ रहे हैं। ओपीडी के करीब 15 से 20 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिनकी आंखों में गंभीर लालिमा से जख्म जैसा बन जा रहा है और खून का थक्का भी जम रहा है।

दून अस्पताल के एसो. प्रोफेसर डॉ. सुशील ओझा कहते हैं कि रोजाना की 140 की ओपीडी में आधे मरीज फ्लू वाले हैं। ह्योरेजिक कंजक्टिवाइटिस में आंखों में खून जमा हुआ दिखाई पड़ता है और खून के आंसू भी आ सकते हैं। गांधी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महेश खेतान ने बताया कि 200 की ओपीडी में पचास फीसदी अभी मरीज फ्लू के हैं। डॉक्टर की सलाह से ही दवा लें।

वरिष्ठ नेत्र सर्जन एवं पूर्व सीएमओ डॉ. बीसी रमोला ने आई फ्लू से बचाव एवं उपचार के लिए अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि सफाई, सिंकाई और दवाई के हर घंटे के अंतराल के फार्मूले से आराम मिलेगा। कहा कि सफाई में हर घंटे बहते हुए पानी से आंखों की धुलाई-सफाई करें। सिकाई गैस के ऊपर हाथ रखकर सहने लायक तापमान से आंखों की हर घंटे सिंकाई करें। दवाई में हर घंटे आंख में एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालें। उंगलियों से आंखों को ना खुजलाएं।

डेंगू के सीजन आने पर धीरे-धीरे मरीज भी बढ़ने लगे है, इसको देखते हुए बेस चिकित्सालय में दो वार्ड डेंगू के लिए बनाए गए हैं। अभी डेंगू वार्ड में छह मरीज भर्ती है, जिनका इलाज मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के निगरानी में चल रहा है। भर्ती मरीजों में केन्द्रीय प्रशिक्षण केन्द्र एसएसबी के तीन जवान भी शामिल हैं।दो मरीज चमोली तथा एक टिहरी हिंडोलाखाल क्षेत्र से भर्ती है।

अस्पताल के ब्लड बैंक सेंटर में ब्लड कंपोनेंट की भी पूरी व्यवस्था की गई है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केएस बुटोला ने बताया कि डेंगू के सीजन में लोगों को पहले तो डेंगू से बचने के लिए पूरी तरह से सावधानियां बरतनी चाहिए और बिना संकोच किए डॉक्टरी सलाह लेने अस्पताल पहुंचना चाहिए।

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