जानिए कब बंद होंगे केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट, किस आधार पर तय होती है तारीख

देहरादून: केदारनाथ मंदिर के कपाट दीपावली के 2 दिन बाद यानि भैयादूज को बंद कर दिये जाते हैं. जो लगभग 6 महीनों तक बंद रहते हैं. इन 6 महीनों में बाबा केदारनाथ की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. 2023 में केदारनाथ धाम के कपाट 14 नवंबर को बंद होंगे. बंद होने की तिथि की घोषणा विजयदशमी को होती है.

वहीं बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की घोषणा राजदरबार नरेंद्र नगर में बंसत पंचमी को पंचांग गणना के बाद तय होती है. वैसे अधिकांशतः बद्रीनाथ के कपाट केदारनाथ के कपाट खुलने के दो दिन बाद खुलते हैं. कपाट बंद होने का समय दोनों का एक ही होता है. इस वर्ष बद्रीनाथ कपाट 27 अप्रैल को सुबह 7.10 बजे खुलेंगे व 14 नवंबर 2023 को बंद होंगे.

उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग व चमोली जिलों में यह दोनों मंदिर स्थित है. अक्टूबर-नवंबर महीनों में यहां बर्फवारी शुरू हो जाती है. जिसके चलते आवागमन के सभी रास्ते बाधित होते हैं. इसलिए इन मंदिरों को लगभग 6 महीनों के लिए बंद कर दिया जाता है और भगवान शिव की पवित्र मूर्ति को उखीमठ ओंकारेश्वर मंदिर में स्थानांतरित कर दिया जाता है. लगभग 6 महीनों तक बाबा केदारनाथ की पूजा यहीं पर होती है और कपाट खुलने से पूर्व इन्हें पुनर्स्थापित कर दिया जाता है.

जबकि बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के उपरांत बद्रीनाथ भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिम्हा मंदिर में स्थित बद्री विशाल ‘उत्सव मूर्ति’ के रूप में चलती है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर के दरवाजे बंद करने से पूर्व पुजारी गर्भगृह में मूर्ति के सामने एक दीपक जलाते हैं, जो छह महीने बाद भी मंदिर खुलने पर जलता हुआ दिखाई देता है.

बद्रीनाथ मन्दिर को उत्तराखंड बनने के पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम 30/1948 में मन्दिर अधिनियम संख्या 16/1939 के तहत शामिल किया गया था, जो बाद में “श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम” से जाना जाने लगा। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा नामित समिति ‘बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति’ दोनों मंदिरों का प्रबंधन करती है. इस समिति का गठन 1939 एक्ट के अनुसार किया गया.

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति’ मंदिरों के संचालन के साथ-साथ संस्कृत भाषा के उन्नयन हेतु सात संस्कृत विद्यालयों का संचालन करती है. इन विद्यालयों में छात्रों को निशुल्क छात्रावास एवं छात्रवृति की सुविधा मिलती है. साथ ही एक आयुर्वेदिक फार्मेसी विद्यालय गुप्तकाशी, विद्यापीठ का संचालन भी करती है. इसके अलावा समिति 45 अन्य अधीनस्थ मंदिरों और 20 धर्मशालाओं का रखरखाव करती है जो कि श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में स्थित हैं.

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