देहरादून: राजधानी देहरादून में थानों रोड पर रामनगर डांडा गांव में गोड़िया वैष्णव समाज का गोड़िया मठ स्थित हैं. गोड़िया समाज के लोगों में इसकी बहुत मान्यता है. इस मठ को राधा कुंज बिहारी गोड़िया मठ के नाम से भी जाना जाता है. इस मठ में सात प्राचीन शिलाएं हैं जिनपर धार्मिक चिन्ह स्वत: उकरे हैं.
गोड़िया मठ रामनगर डांडा के संरक्षक भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम महाराज बताते हैं कि आज से लगभग साढ़े पांच सौ साल पहले बंगाल की नदियां में भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ. श्रीमन चेतन्य महाप्रभु के रूप में और उन्होंने ही कलि काल में ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण.. कृष्ण-कृष्ण हरे हरे.. हरे राम हरे राम.. राम-राम हरे-हरे..’ के मूल मंत्र को प्रदान किया. उपनिदेशकों और पुराणों का नितार्थ यही है कि कालिकाल में भगवान का नाम ही सार्थक है. वह बताते हैं कि इस मठ को स्थापित हुए 15 साल बीत गए हैं और अब बाहर से आने वाले भक्तों के लिए निशुल्क धर्मशाला भी बनाई गई है. गोड़िय मठ में राधा अष्टमी, जन्माष्टमी और गोर्वधन पूजा के पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं. वैष्णव समाज के अलावा क्षेत्र के आसपास के लोगों की भी आस्था मठ के प्रति बहुत है क्योंकि जो भी व्यक्ति भगवान राधा कुंज बिहारी से सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.