महिला की अंतिम विदाई की इच्छा अधूरी, सड़क बंद होने से गांव नहीं पहुंचा शव

उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी है। चिंता की बात है कि बारिश के बाद भूस्खलन की वजह से सड़कें बंद हो रहीं हैं। खराब मौसम में सड़कों के बंद होने से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे ही एक मामला सामने आया जिसमें सड़क बंद होने की वजह से महिला का शव उसके गांव तक नहीं पहुंच सका।

कोटाबाग ब्लॉक के ओखलढूंगा की एक महिला की गांव से अंतिम विदाई की इच्छा अधूरी गई। गांव तक सड़क न होने की वजह से परिजन उनका शव अंतिम संस्कार के लिए गांव नहीं ले जा सके। दरअसल, आपदा आने के बाद 10 दिन से सड़क खराब है। उन्हें मजबूरी में रामनगर में ही अंत्येष्टि करनी पड़ी।

दूरस्थ गांव ओखलढूंगा की सुनीता देवी पत्नी राजेंद्र पटवाल की कुछ दिन पहले अचानक तबीयत खराब हो गई। रामनगर से परिजन उन्हें ऋषिकेश एम्स ले गए। जहां शुक्रवार शाम सुनीता की मौत हो गई। परिजन शनिवार को शव गांव ला रहे थे, लेकिन आपदा के चलते गांव के रास्ते क्षतिग्रस्त होने के चलते परिजनों का शव लेकर गांव पहुंचना मुश्किल था।

जबकि परिजन गांव में उसका अंतिम संस्कार कराना चाहते थे। इस संबंध में मृतक महिला के पति राजेंद्र सिंह ने गांव के क्षेत्र पंचायत सदस्य नंदन चौधरी से मार्ग के बारे में जानकारी ली। नंदन चौधरी ने बताया कि गांव में बारिश और रास्ता क्षतिग्रस्त होने के चलते शव गांव न लाने की बात कही। इस पर परिजनों को शव का अंतिम संस्कार रामनगर में ही कराना पड़ा।

इसके बाद राजेंद्र सिंह अपने बच्चों को लेकर गाड़ी से अपने घर ओखलढूंगा पहुंचे। राजेंद्र अपने परिवार के साथ रामनगर में रहते हैं। सुनीता अपने पीछे तीन छोटे-छोटे बच्चों को छोड़ गई। उन्होंने बताया कि गांव के लोग 10 दिनों से आपदा का दर्द झेल रहे हैं, लेकिन अभी तक रास्तों तक को ठीक नहीं कराया। उनकी पत्नी की इच्छा गांव से विदा लेने की थी।

ओखलढूंगा आने का रास्ता आज सुबह तक बंद था, नेता प्रतिपक्ष के दौरे पर उनके आगे दो, दो जेसीबी रास्ता बनाते हुए चल रही थी, इसलिए उनके वाहन गांव तक पहुंच पायी। डोन से ओखलढूंगा का मार्ग आज सुबह तक क्षतिग्रस्त होने के कारण बंद था। इसलिए राजेंद्र सिंह को रामनगर में ही अंतिम संस्कार करने की सलाह दी।

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