देहरादून: राजधानी देहरादून के शीशमबाड़ा वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में लगातार कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई बढ़ती चली जा रही थी. लोगों ने तो यहां तक कह दिया की दिल्ली के कूड़े के पहाड़ की तरह देहरादून में भी कूड़े का पहाड़ खड़ा हो रहा है. लेकिन नगर निगम देहरादून के प्रयासों से अब इस पहाड़ के ढ़लने की उम्मीद जगी है. शीशमबाड़ा प्लांट में कूड़ा निस्तारण का काम देख रही नेकोफ कंपनी ने हिमाचल और राजस्थान में स्थित अल्ट्राटेक, अंबुजा, जेके और श्री सीमेंट के साथ आरडीएफ लेने के लिए करार संबंध किया है. इसके बाद रोज़ाना करीब 100 टन से ज्यादा आरडीएफ राजस्थान में सीमेंट फैक्टियों को भेजा जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में रास्ते बंद होने के कारण फिलहाल वहां सप्लाई नहीं हो पा रही है.
नगर निगम देहरादून के सामने उस चुनौती खड़ी हुई जब पूर्व में शीशमबाड़ा प्लांट पर काम कर रही कंपनी ने आरडीएफ के निस्तारण के उसे बजाय डंप करना शुरू कर दिया था. कंपनी के इस तरह काम से यहां पर कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया. आसपास की करीब 50 हजार से ज्यादा आबादी के लिए यह कूड़ा मुसीबत बनने लगा. इससे उठती दुर्गंध और खेतों में आ रहे जहरीले पानी से लोगों को दिक्कतें होने लगी. अब नगर निगम ने पुरानी कंपनी का अनुबंध खत्म कर नेकोफ कंपनी को शीशमबाड़ा में कूड़ा निस्तारण और प्रोसेसिंग का काम सौंपा है. नई कंपनी ने देश की तीन सीमेंट कंपनियों अल्ट्राटेक, जेके सीमेंट, श्री सीमेंट, और अंबुजा सीमेंट के साथ आरडीएफ भेजे जाने के लिए करार किया है. इससे नगर निगम और लोगों शीशमबाड़ा में कूड़े का पहाड़ खत्म होने की उम्मीद जगी है.