दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू बच्चों के अधिकारों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चों को मां-बाप की संपत्ति में हिस्सा दिए जाने की बात कही. अब अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं. कोर्ट की ओर से ऐसे बच्चों को वैधानिक रूप से वैधता दी गई है और उन्हें माता-पिता की संपत्ति में पूरा हिस्सा मिलना चाहिए.
अपनी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा कि यह कानून हिंदू धर्म पर मान्य है यानी कि केवल हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार अधिकारों का दावा कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अदालत के पहले आदेशों को भी पलट रहा है. जिसमें कहा गया है कि अवैध विवाह से होने वाले बच्चे अपने माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकते हैं. पैतृक संपत्ति पर नहीं.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ 2011 के एक मामले में दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि “अमान्य विवाह” से बच्चे अपने माता-पिता की संपत्तियों को प्राप्त करने के हकदार हैं, चाहे वे स्व-अर्जित हों या पैतृक.