सोनिया गांधी का महिला आरक्षण बिल को समर्थन, कहा मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी का था सपना

दिल्ली: सोनिया गांधी ने कहा, ‘अध्यक्ष महोदय आपने मुझे बोलने की इजाजत दी इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के समर्थन में खड़ी हुई हूं.’

उन्होंने कहा कि भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है, उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा. उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरफ अडिग रही. उन्होंने कहा कि स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती. हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींच कर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है.

उन्होंने कहा कि धुंए से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुए स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है. उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए, लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा.

सोनिया गांधी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं. आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है. वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी.

उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकिन आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है. इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है. हमें इसके पास होने से खुशी है, मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है. उन्होंने कहा, ‘मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं और अब उन्हें कुछ वर्ष और इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है. कितने वर्ष- 2, 4, 6 या 8 वर्ष ? क्या भारत की महिलाओं के साथ यह बर्ताव उचित है?

 

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