‘वचनवीर’ वडिंग का नया ‘दलित प्रेम’: पहले अपमान, फिर ‘सॉरी’ का तीर!

अरशद खान: पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने हाल ही में राजनीति में “अपमान करो और माफी मांगो” के नए कूटनीतिक सूत्र को सफलतापूर्वक पेश किया है. मामला देश के कद्दावर दलित नेता, स्वर्गीय बूटा सिंह, के अपमान का है—जिसके लिए वडिंग ने तुरंत बाद एक ‘जादुई माफी’ जारी कर दी.

सूत्र बताते हैं कि वडिंग साहब ने चुनावी रैली के जोश में, दलित समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए कुछ ‘अनमोल वचन’ कहे। इन वचनों का सार यह था कि दशकों तक देश की सेवा करने वाले बूटा सिंह जी की विरासत, शायद उनकी निगाह में, ‘हल्की’ थी. विपक्ष ने इस ‘उच्च कोटि की राजनीतिक समझ’ पर तत्काल विरोध दर्ज कराया.

लेकिन ठहरिए! राजनीति के इस नए दौर में, गलती करना तो मानव धर्म है, पर उसे तुरंत माफी की चाशनी में डुबो देना ‘श्रेष्ठ राजधर्म’ है. वडिंग ने भी तुरंत ट्वीट किया—”अगर किसी को ठेस पहुंची है तो बिना शर्त माफी”.

अब जनता सोच रही है: क्या राजनीतिक बयानबाजी का अर्थ सिर्फ यह रह गया है कि आप पहले बेखौफ होकर तीर चलाएं और जब तीर निशाने पर लग जाए, तो माफी रूपी मरहम लगा दें? दलित समाज की अस्मिता पर चोट करने के बाद, यह ‘झट-पट माफी योजना’ देखकर लगता है कि हमारे नेताओं के पास संवेदनशीलता का स्टॉक खत्म हो चुका है, लेकिन ‘माफी के ड्राफ्ट’ हमेशा तैयार रहते हैं.

कटाक्ष यह है कि जिस पार्टी को देश के सबसे बड़े दलित चेहरे के रूप में स्वर्गीय बूटा सिंह पर गर्व होना चाहिए था, उसी पार्टी का अध्यक्ष अब उनकी विरासत को लपेटने के लिए माफी मांग रहा है. लगता है, चुनावी मौसम में जुबान पर लगाम कसने से ज्यादा आसान, ‘दलित वोटबैंक’ को सुरक्षित रखने के लिए, बाद में ‘सॉरी’ का इमोजी भेज देना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *