अरशद/देहरादून: इस किन्नर की स्टोरी सुनकर दांतों तले उंगली दबा लेंगे आप, आंखें हो जाएंगी नम!समय समाज और दुनिया चाहे आज जितनी भी बदल गई हो लेकिन आज भी किन्नर समाज के लोगों को हेय दृष्टि से देखा जाता है. लोग उनके हाथों का खाना पीना तो दूर इन्हें देखना तक पसंद नहीं करते. लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ट्रांस महिला अदिति शर्मा ने इस परिभाषा को ही बदल डाला है. उन्होंने मांगना खाना छोड़ा और स्वरोजगार की ओर अपने कदम बढ़ाए. अदिति शर्मा उत्तराखंड की पहली ऐसी ट्रांसजेंडर है जिन्होंने अपने खुद के बलबूते पर सरकारी योजना का लाभ लेकर रोजगार की शुरुआत की है. जी हां बैगिंग कल्चर को नकारते हुए अदिति शर्मा ने अपने खुद के पैरों पर खड़े होने का निर्णय लिया. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना से उन्होंने खादी ग्राम उद्योग से साढे चार लाख रुपए का लोन पास कराया और देहरादून में ‘निवाला प्यार का’ के नाम से अपनी फूड वैन की शुरुआत की.
ट्रांस महिला अदिति शर्मा कहती है की किन्नर समाज को बहुत ही ज्यादा ऐसा है और अलग-अलग महसूस कराया जाता है उन्होंने भी अपने अभी तक के सफर में बहुत सी समस्याओं का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वह कहती हैं कि कोई भी किन्नर मांग कर खाना नहीं चाहता लेकिन मांगना खाना उनकी मजबूरी बन जाता है. सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलाना, सरकारी नौकरियों में जगह न मिलाना, कोई मूल पहचान और पता ना होना इन्हीं सब कारणों से किन्नर समाज के पास मांगने खाने और अन्य काम करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है.वह कहती है की बचपन में किसी भी किंमपुरुष को यह नहीं पता होता कि वह एक गलत बॉडी में पैदा हुआ है.
लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो समाज का रवैया और अपने आप पर गौर करने के बाद उन्हें असहजता महसूस होने लगती है. ऐसा ही उनके साथ भी हुआ लेकिन उन्होंने अपने रास्ते बदले और खुद की पहचान एक समाज सेविका के रूप में बनाई. उन्होंने देहरादून के कई एनजीओ में काम किया और लोगों की सेवा करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उन्होंने किन्नर समाज में मजबूरन कम कर रहे किंपुरुषों को अपने साथ जोड़ा और उन्हें भी समाज सेवा के क्षेत्र में आगे लाया. वह उत्तराखंड की पहली ऐसी ट्रांस महिला है जिन्होंने बैंकिंग कलर का विरोध कर खुद के पैरों पर खड़े होने के प्रयास किया और किन्नर समाज को समानता का अधिकार दिलाने की कोशिश की.
राजधानी देहरादून में कारगी चौक पर आपको एक फूड वैन नजर आती है जो दूर से ही आपका ध्यान आकर्षित करेगी. यह फूड वैन अदिति शर्मा चलती हैं जी हां वही अदिति शर्मा जो कभी मांग कर पेट भरती थी लेकिन अपनी इच्छा शक्ति केवल मूर्ति अब काम कर पेट भर रही हैं. अदिति शर्मा उत्तराखंड में उन तमाम किंपुरुषों का रोल मॉडल बन चुकी है जो इस समाज की छवि देश और दुनिया में सुधारना चाहते हैं.