सुमित/ नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देश की सबसे बड़ी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया. इसमें कहा गया कि देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया Electrol bond चुनाव आयोग को भेजे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने 30 जून तक का समय मांगा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को फटकार लगाते हुए लोकसभा चुनाव से पहले 15 मार्च तक का समय दिया था. एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए Electrol bond का पूर डाटा इलेक्शन कमीशन को भेज दिया है. अब बस दो दिनों के भीतर ही Electrol bond का पूरा सच जनता के सामने आएगा और आप इस डाटा को इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट पर देख सकते हैं.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल पूरा मामला लोकसभा चुनाव में इकट्ठा किए गए चंदे को लेकर हैं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि देश की जनता को पूरा हक है कि राजनीतिक पार्टियों को चंदा किस प्रकार से दिया गया है और कौन-कौन वह व्यक्ति हैं जिन्होंने राजनीतिक पार्टी को चंदा दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की दिए चंद्रचूड़ की 5 सदस्यई पीठ ने वाली केंद्र की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक बताते हुए चंदा देने वालों के नाम राशि और प्राप्त करने वालों के नाम को सार्वजनिक करने की बात कही थी. जो कि अब इलेक्शन कमिशन 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर इस डाटा को अपलोड कर सार्वजनिक करेगा.
विपक्षी राजनीतिक दलों के आरोप
इलेक्ट्रॉलर बॉन्डस की बात सामने आते ही देश की तमाम बड़ी विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने सत्ताधारी पार्टी पर निशाना साधना शुरू कर दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि इलेक्ट्रॉलर बॉन्ड देश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला साबित होने वाला है. वहीं अन्य विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर Electrol bonds को लेकर जमकर हमला बोल रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो इस मामले को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की है जिसमें वह भारतीय जनता पार्टी और उनके शीर्ष नेतृत्व पीएम मोदी पर जमकर वार करते नजर आए.